तू लौ ख़ुशनुमा…by संदीप साइलस “दीप” Tu Lau Khushnuma…by Sandeep Silas “deep”

तू लौ ख़ुशनुमा…

संदीप साइलसदीप

तू लौ ख़ुशनुमा, मैं पतंगा तेरा

तुझको जियूँ तो, जल जाऊँ मैं ।

ये क्या राबता, कैसा है मेला

तुझको छू लूँ तो, खिल जाऊँ मैं ।

तू मदहोश है, मेरा खोया पिया

तुझको देखूँ तो, भर जाऊँ मैं ।

मेरा दिल तो तेरा, घर बन गया

तुझको पाऊँ तो, बस जाऊँ मैं ।

तेरा चर्चा रहा, वो ज़माना तेरा

गहमा-गहमी हो, तो डर जाऊँ मैं ।

मैं तो आयत तेरी, तू ईसा है मेरा

तुझको मिलने को, ललचाऊँ मैं ।

हर राह तेरी, हर जहां है तेरा

ले चला तू मुझे, कहाँ को जिया ।

ज़ुबान ने मेरी, आज शिकवा किया

ऐसा मिलना हुआ, तो मर जाऊँ मैं ।

तू लौ ख़ुशनुमा, मैं पतंगा तेरा

तुझको जियूँ तो, जल जाऊँ मैं ।

ये क्या राबता, कैसा है मेला

तुझको छू लूँ, तो खिल जाऊँ मैं ।

TU LAU KHUSHNUMA…

Sandeep Silas “deep”

Tu lau khushnuma, main patanga tera

Tujhko jiyun to, jal jaun main

Ye kya raabta, kaisa hai mela

Tujhko chhuu lun to, khil jaun main

Tu madhosh hai, mera khoya piya

Tujhko dekhun to, bhar jaun main

Mera dil to tera, ghar ban gaya

Tujhko paun to, bas jaun main

Tera charcha raha, wo zamana tera

Gehma-gehmi ho, to dar jaun main

Main to aayat teri, tu Isaa hai mera

Tujhko milne ko, lalchaun main

Har raah teri, har jahaan hai tera

Le chala tu mujhey, kahan ko jiya

Zubaan ne meri, aaj shikwa kiya

Aisa milna hua to, mar jaun main

Tu lau khushnuma, main patanga tera

Tujhko jiyun to, jal jaun main

Ye kya raabta, kaisa hai mela

Tujhko chhuu lun to, khil jaun main

 

(Written: Delhi; 29 November 2019; 10.10 pm -10.45 pm)

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