दो सरीर, एक आत्मा
दो सरीर, एक आत्मा
देख, अजूबा परमात्मा।
आकास में, सैकड़ों आत्मा
जिन्हें नाहीं मिले परमात्मा
बानी से झलके है, आत्मा
दो नैनन से बोले है आत्मा।
एक ही सोच, एक ही हिया
मैं हूँ दर्पण, तू मेरा है पिया
रोशनी देत है, एक ही दिया
चल सजनी घर अपने पिया।
तू गाए जा, गीत परमात्मा
माँ सुन रही है तुझे, आत्मा
सर्व बाधा का होगा ख़ात्मा
तय है हमारा मिलन आत्मा।
हो गया है मग़न तुझ में हिया
सुन ले पुकार, मन की पिया
सजाया पूजा का थाल हिया
तेरे लिए धड़कता मेरा जिया।
ना ख़ुशी है तेरे बिन, आत्मा
नाही जीवन बीते है, आत्मा
सब तार जुड़ गए हैं, आत्मा
तेरे लिए सब कुछ है, आत्मा।
दो सरीर, एक आत्मा
देख, अजूबा परमात्मा।
(Written: Goa; 7 October 2021; 8.59 am to 10.01 am)
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